Wednesday, January 13, 2010

आज बहुत दिनों के बाद कुछ लिखे का मन किया तो सोचा क्यों न हिंदी मैं लिखा जाये....वैसे भी कुछ न करने से कुछ अलग करना ही बेहतर है....बस फिर क्या....कुछ बकता हूँ....

हाल ही में झारखण्ड के चुनाव के नतीजे घोषित हुए....फिर इस बार वही बात हुई जो सबके दिलों में कही न कहीं छुपी थी....३ पार्टियाँ लगभग बराबर सीटें ले गयीं और तीनो में से कोई भी झुकने को तैयार नहीं थीं....अंत में उस आदमी को मुख्यमंत्री बनाया गया जिसके ऊपर अभी भी कई अपराधजनक धाराएँ लंबित हैं.....और जिसकी वजह से पिछले चनावों में भी इन्ही परिस्थितियों में एक स्थायी सरकार नहीं बन पाई थी...


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ये बहुत दिनों पहले की बात नहीं है जब झारखण्ड को एक नए राज्य का दर्जा दिया गया था....शायद ऐसा इसलिए किया गया था की जिस क्षेत्र को वो मौके नहीं मिले जैसा की एक स्वतंत्र राज्य को मिलता है उसे भी अपनी तरक्की के बारे में सोचने का पूरा मौका मिले और यहाँ के पिछड़े लोग भी अपने लिए कुछ कर सकें.....मगर ऐसा होता दीखता नहीं है.....भारत एक स्वतंत्र  देश है और इसमें कोई सक नहीं की इसे चलाने वाले लोग बहुत ही काबिल और देश का भला सोचने वाले लोग हैं......फिर ऐसा क्यों हो जाता है की जिस उद्देश्य से कोई निति बनायीं जाती हैं उनका परिणाम कुछ अलग ही हो जाता है.....

   जब कोई राज्य निर्माण जैसा महत्वपूर्ण फैसला लिया जाता है तो निर्माण सम्बंधित सारी बातें अच्छी तरह सोच लेना अनिवार्य ही होता है....ये बात किसी से छुपी नहीं थी की झारखण्ड की आबादी का अधिकतम हिस्सा आदिवासियों का है....और स्वतंत्र होने पर उनकी प्रगति ही इस राज्य की प्रगति का सूचक होगा....मगर ऐसा तब होता जब इसके बारे मैं निर्णय करने वाले लोग भी ओछी राजनीती को छोड़ कर ऐसा ही सोचें....मगर ऐसा सोचने के लिए ऐसी काबिलियत भी चाहिए जो की उनके शैक्षणिक स्तर को देख कर प्रतीत नहीं होता.....मगर ये उनकी गलती कम है जो अभी सत्ता में हैं बल्कि उनकी है जिसने इस स्थिति को कायम किया....जब किसी को बिना ज्ञान के शक्ति दे दी जाती है तो कुछ ऐसा ही होता है.....


कभी कभी आश्चर्य होता है की भारत की मुश्किलें भी कितनी विभिन्न हैं.....कभी हमारे पास कोई सुविधा नहीं होती और हम उन चीजों के लिए तरसते हैं जिनका खुला दुरूपयोग हमारे ही परोसी कर रहे होते हैं......वैसे ये यहाँ के लिए कोई नयी बात नहीं है....सबसे बड़ी बात ये है की यहाँ के लोग देश को देश ना देख कर विभिन्न राज्यों का समूह देखते हैं....एक सुदृढ़ और संपन्न देश के लिए लोगो की इस मानशिकता का बदलना नितांत आवश्यक है.....मेरे पिछले बोग की तरह इसमें भी अंतिम आशा यही होगी कि इस समस्या का समाधान अधिक दूर ना हो और झारखण्ड अपने संसाधनों का सदुपयोग करते हुए एक विस्मयकारी प्रगति के साथ सबको आश्चर्यचकित कर दे.......

                                        

                                              शबनम कि बुँदे अभी उतरी नहीं हैं,
                                             सितारों से अपनी राहे सजा लो,
                                             क्या पता सुबह कि आगोश मैं क्या छुपा है,
                                             सुनहरी किरणों के भेष में,
                                             चिलचिलाती धुप अपना रास्ता ना बना रही हो....

4 comments:

  1. i voted for the first time this year n the results really pissed me off though i was expecting such a result only.....but your optimistic n nice write up has given me the belief that things would change.....and surely things would change for gud.....

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  2. the political scene in Jharkhand is utterly disappointing as the pubic is not left wid any choice n but to produce a mandate which clearly manifests the confused state of their mind as there is no one who promises Development!M sorry for my -ve attitude but m sure the scenario is not going to change unless a unrealistically drastic change occurs.but on a positive note the relief is some of the responsible citizen of jharkhand r still giving the problems a thought! a thought....at least!
    loved the post in hindi...n yeah did i say the poem at the end is "re....mar....f#@king...able"!!superb!
    looking forward to some more posts in hindi @ this blog!:)

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  3. @pratyush....optimism is 1 thing that is always there for good n without it life would surely be worthless....so always hope good...

    @amit...thanx for such an encouraging comment...trying to learn something from ur writings....keep reading n commenting...

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